Agri Business Idea: साल में 3 बार कर सकते हैं इस फूल की खेती, बीज और तेल बेचकर कमाएं तगड़ा मुनाफा
Agri Business Idea: बेहतर मुनाफा देने वाली यह फसल एक नकदी फसल है. इसकी खेती तीनों सीजन में की जाती है.
Sunflower Cultivation: सूरजमुखी की खेती को मुनाफा देने वाला माना जाता है. इसकी खेती तीनों मौसम में की जा सकती है. सूरजमुखी (Sunflower) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल (Oilseeds Crop) है, बेहतर मुनाफा देने वाली इस फसल को नकदी खेती के रूप में भी जाना जाता है. इसकी बुवाई का समय इस तरह से करना चाहिए कि फूल लगने के समय लगातार बूंदा-बांदी, बादल छाए रहें या तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहने की स्थिति से बचा जा सके.
सूरजमुखी की खेती (Sunflower Farming) अम्लीय और क्षारीय मिट्टी को छोड़कर सिंचित दशा वाली सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है. जहां इसकी पारंपरिक रूप से खेती नहीं होती है, वहां इसकी बुवाई वसंत ऋतु में जनवरी से फरवरी के अंत तक की जा सकती है.
ये भी पढ़ें- Business Idea: पोल्ट्री फार्म खोलने का सुनहरा मौका, सरकार दे रही ₹40 लाख की सब्सिडी, अभी करें आवेदन
Sunflower Farming: बुवाई का तरीका
TRENDING NOW
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
इंट्राडे में तुरंत खरीद लें ये स्टॉक्स! कमाई के लिए एक्सपर्ट ने चुने बढ़िया और दमदार शेयर, जानें टारगेट और Stop Loss
Adani Group की रेटिंग पर Moody's का बड़ा बयान; US कोर्ट के फैसले के बाद पड़ेगा निगेटिव असर, क्या करें निवेशक?
आईसीएआर की रिपोर्ट के मुताबिक, सूरजमुखी (Sunflower) की फसल के लिए मिट्टी अच्छी तरह से छनी हुई और उपजाऊ होनी चाहिए. बीज दर भूमि की दशा, दानों के आकार, अंकुरण प्रतिशत, बोने का समय और बोने की विधि पर निर्भर करती है. सिंचाई पर निर्भर फसल के लिए 4-5 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज पर्याप्त होता है. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी और बीज की गहराई 4-5 से.मी होनी चाहिए.
सूरजमुखी की किस्में
सूरजमुखी की हाइब्रिड प्रजातियां जैसे डी.आर.एस.एच-1, के.बी.एस.एच-44, पी.एस.एच.एफ.- 118, पी.एस.एच.एफ.- 569, पी.ए.सी.-36, पी.ए.सी.-1091, के.भी.एस.एच.-1 और संकुल प्रजातियां जैसे मॉर्डन व सूर्या आदि हैं. बीजों में लगने वाले रोगों की रोकथाम के लिए 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर मात्रा को कैप्टॉन या थीरम से उपचारित कर लेना चाहिए.
ये भी पढ़ें- ड्रोन पायलट बनने का सुनहरा मौका, फ्री में मिलेगी ट्रेनिंग, नोट कर लें आवेदन की अंतिम तारीख
उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए. सिंचाई पर आधारित फसल के लिए 60:90:30 किग्रा प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन, फॉस्फोरस व पोटाश की सिफारिश की जाती है. बुवाई के समय सूरजमुखी के फसल के लिए 50 फीसदी नाइट्रोन + फॉस्फोरस और पोटाश खाद की पूरी मात्रा देनी चाहिए. बाकी के दो बराबर-बराबर भाग करके बुवाई के 30 से 55 दिनों के लिए बाद डालनी चाहिए. फॉस्फोरस को पाने के लिए सिंगल सुपर फॉस्फेट को लेना चाहिए, जिससे गंधक की जरूरत भी पूरी होती है.
अंतर फसल प्रणाली
सूरजमुखी (Sunflower) की अंतर फसल प्रणाली के जरिए भी खेती की जा सकती है. तुअर+सूजरमुखी (2:1/1:1/1:2), सूरजमुखी+मूंगफली ( 5:1/3:1), सूरजमुखी+सोयाबीन+सूरजमुखी (2:1) की दर से फसल बोना फायदेमंद होता है.
01:29 PM IST